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arman
12:00:00 AM 16 Jul, 2017
तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था;
फिर उस के बाद मुझे कोई अजनबी नहीं मिला।
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#28559 Rakesh
12:00:00 AM 14 Jun, 2017
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती ना मिला;
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी ना मिला;
घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे;
बहुत तलाश किया कोई आदमी ना मिला;
तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड आया था;
फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी ना मिला;
बहुत अजीब है ये कुरबतों की दूरी भी;
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी ना मिला;
खुदा की इतनी बड़ी कायनात में मैंने;
बस एक शख्स को मांगा मुझे वही ना मिला।
#29467 arman
12:00:00 AM 15 Jun, 2017
तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था;
फिर उस के बाद मुझे कोई अजनबी नहीं मिला।
#29499 arman
12:00:00 AM 15 Jun, 2017
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला;
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला;
घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे;
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला;
तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था;
फ़िर उस के बाद मुझे कोई अजनबी न मिला;
ख़ुदा की इतनी बड़ी कायनात में मैनें;
बस एक शख्स को माँगा मुझे वही न मिला;
बहुत अजीब है ये नजदीकियों की दूरी भी;
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला।
#34860 arman
12:00:00 AM 15 Jul, 2017
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती ना मिला;
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी ना मिला;
घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे;
बहुत तलाश किया कोई आदमी ना मिला;
तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड आया था;
फिर इसके बाद मुझे कोई अजनबी ना मिला;
बहुत अजीब है ये कुरबतों की दूरी भी;
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी ना मिला;
खुदा की इतनी बड़ी कायनात में मैंने;
बस एक शख्स को मांगा मुझे वही ना मिला।
#35797 arman
12:00:00 AM 16 Jul, 2017
मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला;
अगर गले नहीं मिलता तो हाथ भी न मिला;
घरों पे नाम थे, नामों के साथ ओहदे थे;
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला;
तमाम रिश्तों को मैं घर पे छोड़ आया था;
फ़िर उस के बाद मुझे कोई अजनबी न मिला;
ख़ुदा की इतनी बड़ी कायनात में मैनें;
बस एक शख्स को माँगा मुझे वही न मिला;
बहुत अजीब है ये नजदीकियों की दूरी भी;
वो मेरे साथ रहा और मुझे कभी न मिला।