arman 12:00:00 AM 16 Jun, 2017

जाने किस बात पे उस ने
मुझे छोड़ दिया है फ़राज़;

मैं तो मुफलिस था
किसी मन की दुआओं की तरह;

उस ​शख्स को तो बिछड़ने
का सलीका नहीं फ़राज़;

जाते हुए
खुद को मेरे पास छोड़ गया;

अब उसे रोज सोचो तो
बदन टूटता है फ़राज़;

उम्र गुजरी है
उसकी याद नशा करते ​-​करते;

बे-जान तो मै
अब भी नहीं फराज;

मगर जिसे
जान कहते थे वो छोड़ गया;

जब्त ऐ गम कोई
आसान काम नहीं फराज;

आग होते है वो आंसू ,
जो पिए जाते हैं;

क्यों उलझता रहता है
तू लोगो से फराज;

ये जरूरी तो नहीं
वो चेहरा सभी को प्यारा लगे।

Related to this Post: