जाने किस बात पे उस ने
मुझे छोड़ दिया है फ़राज़;
मैं तो मुफलिस था
किसी मन की दुआओं की तरह;
उस शख्स को तो बिछड़ने
का सलीका नहीं फ़राज़;
जाते हुए
खुद को मेरे पास छोड़ गया;
अब उसे रोज सोचो तो
बदन टूटता है फ़राज़;
उम्र गुजरी है
उसकी याद नशा करते -करते;
बे-जान तो मै
अब भी नहीं फराज;
मगर जिसे
जान कहते थे वो छोड़ गया;
जब्त ऐ गम कोई
आसान काम नहीं फराज;
आग होते है वो आंसू ,
जो पिए जाते हैं;
क्यों उलझता रहता है
तू लोगो से फराज;
ये जरूरी तो नहीं
वो चेहरा सभी को प्यारा लगे।
