सिर्फ इशारों में होती मोहब्बत अगर,
इन अलफाजों को खुबसूरती कौन देता,
बस पत्थर बन के रह जाता 'ताज महल';
अगर इश्क इसे अपनी पहचान ना देता!
सिर्फ इशारों में होती मोहब्बत अगर,
इन अलफाजों को खुबसूरती कौन देता,
बस पत्थर बन के रह जाता 'ताज महल';
अगर इश्क इसे अपनी पहचान ना देता!
