जब नजरो मे चाहत ही न बची हो
जहां अल्फ़ाज़ सिमट कर रह गए हो
जज्बातों से कोई मतलब ना हो
सपने सिर्फ सपने ही रह गए हो
उस रिश्ते में अब बचा हि क्या है कि
फिर से सांसे लेने लगे ऐसी उम्मीद जगी हो!!
जब नजरो मे चाहत ही न बची हो
जहां अल्फ़ाज़ सिमट कर रह गए हो
जज्बातों से कोई मतलब ना हो
सपने सिर्फ सपने ही रह गए हो
उस रिश्ते में अब बचा हि क्या है कि
फिर से सांसे लेने लगे ऐसी उम्मीद जगी हो!!
