arman 12:00:00 AM 28 Jul, 2017

मेरी नीम सी जिंदगी को शहद कर दे,
कोई मुझे इतना चाहे की बस हद्द कर दे।

अब कोई दर्द दर्द नहीं लगता,
तेरे दिए हुए दर्द ने तो कमाल कर दिया।

ख्वाहिश थी उस रिश्ते को बचाने की,
और यही वजह थी मेरे हार जाने की।

बस इबादत में कमी है ज़नाब,
वरना ख़ुदा तो हर जग़ह मौजूद है।

सिर्फ दो ही वक़्त पर तेरा साथ चाहिए,
एक तो अभी और एक आने वाले कल मे।

सवाल ये नहीं रफ्तार किसकी कितनी है,
सवाल ये है सलीक़े से कौन चलता है।

तुम्हें तो इल्म है मेरे दिल-ए-वहशी के ज़ख़्मों को,
तुम्हारा वस्ल मरहम है कभी मिलने चले आओ।

जब दिल करता है कुछ करू,
तो तुम्हारे लिए दुआ कर देता हूँ!!

इक खिलौना टूट जाएगा नया मिल जाएगा,
मैं नहीं तो कोई तुझको दूसरा मिल जाएगा।

अपने वो नही होते जो तस्वीर में साथ खड़े होते हैं,
अपने वो हैं जो तकलीफ में साथ खड़े होते हैं।

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