आँखों को जब किसी की चाहत हो जाती है
उसे देख के ही दिल को राहत हो जाती है
कैसे भूल सकता है कोई किसी को ‘ऐ’ दोस्त
जब किसी को किसी की आदत हो जाती है
मोहोब्बत कुछ इस कदर हो जाती है
उसे के रब से पहले उसकी इबादत हो जाती है
आँखों को जब किसी की चाहत हो जाती है
उसे देख के ही दिल को राहत हो जाती है
कैसे भूल सकता है कोई किसी को ‘ऐ’ दोस्त
जब किसी को किसी की आदत हो जाती है
मोहोब्बत कुछ इस कदर हो जाती है
उसे के रब से पहले उसकी इबादत हो जाती है
