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Aman
12:00:00 AM 13 Feb, 2017
एक झूठ जो हर आदमी अक्सर बोलता है... .
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बात पैसे की नहीं है यार!!
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Related to this Post:
#941 ADMIN
05:30:00 AM 01 Jan, 1970
पत्नी बार बार मां पर इल्जाम लगाए जा रही थी......
और
पति बार बार उसको अपनी हद में
रहने की कह रहा था
लेकिन पत्नी चुप होने का नाम ही नही ले रही थी
व् जोर जोर से चीख चीखकर कह रही थी कि
"उसने अंगूठी टेबल पर ही रखी थी
और तुम्हारेऔर मेरे अलावा इस कमरें मे कोई नही आया
अंगूठी हो ना हो मां जी ने ही उठाई है।
।बात जब पति की बर्दाश्त के बाहर हो गई तो
उसने पत्नी के गाल पर एक जोरदार तमाचा देमारा अभी
तीन महीने पहले ही तो शादी हुई थी ।
पत्नी से तमाचा सहन नही हुआ वह घर छोड़कर जाने लगी
और जाते जाते पति से एक सवाल पूछा
कि तुमको अपनी मां पर इतना विश्वास क्यूं है..??
तब पति ने जो जवाब दिया
उस जवाब को सुनकर
दरवाजे के पीछे खड़ी मां ने सुना
तो
उसका मन भर आया
पति ने पत्नी को बताया कि
"जब वह छोटा था तब उसके पिताजी गुजर गए
.
मां मोहल्ले के घरों मे झाडू पोछा लगाकर जो कमा पाती थी
उससे एक वक्त का खाना आता था
मां एक थाली में मुझे परोसा देती थी
और
खाली डिब्बे को ढककर रख देती थी
और
कहती थी
मेरी रोटियां इस डिब्बे में है बेटा तू खा ले
मैं भी हमेशा आधी रोटी खाकर कह देता था
कि मां मेरा पेट भर गया है मुझे और नही खाना है
मां ने मुझे मेरी झूठी आधी रोटी खाकर मुझे पाला पोसा और बड़ा किया है
आज मैं दो रोटी कमाने लायक हो हूं
लेकिन यह कैसे भूल सकता हूं कि मां ने उम्र के उस पड़ाव पर अपनी इच्छाओं को मारा है,
.
.
..
वह मां आज उम्र के इस पड़ाव पर किसी अंगूठी की भूखी होगी ...
.यह मैं सोच भी नही सकता
तुम तो तीन महीने से मेरे साथ हो
मैंने तो मां की तपस्या को पिछले पच्चीस वर्षों से देखा है..
.यह सुनकर मां की आंखों से आंसू छलक उठे
वह समझ नही पा रही थी कि बेटा उसकी आधी रोटी का कर्ज चुका रहा है या वह बेटे
की आधी रोटी का कर्ज...
इस मैसज को शेयर करने के लिए कोई कसम नही है।।।
यदि अच्छा लगा हो ।।।।तभी शेयर करना ।
#2278 ADMIN
05:30:00 AM 01 Jan, 1970
👳कस्टमर :-
जन धन में खाता
खुलवाना है....!!
😞बैंक मैनेजर :-
खुलवा लो...!!
👳कस्टमर :-
क्या ये जीरो बैलेंस
में खुलता है.....!!
😁बैंक मैनेजर :-
(मन ही मन में .......
साला पता है फिर
भी पूछ रहा है)
हाँ जी फ्री में खुलवा लो....!!
👳कस्टमर : -
इसमें सरकार
कितना पैसा डालेगी ?
😏बैंक मैनेजर : -
जी अभी तो कुछ
पता नहीं....!!
👳कस्टमर : -
तो मैं ये खाता
क्यों खुलवाऊँ ?
😣बैंक मैनेजर : -
जी मत खुलवाओ....!!
👳कस्टमर : -
फिर भी सरकार
कुछ तो देगी.....!!
😉बैंक मैनेजर :-
आपको फ्री में
ATM CARD
दे देंगे.....!!
👳कस्टमर :-
जब उसमे पैसा
ही नहीं होगा तो
एटीएम का
क्या करूँगा?
😋बैंक मैनेजर : -
पैसे डलवाओ
भैया तुम्हारा खाता है.....!@
👳कस्टमर :-
मेरे पास पैसा
होता तो मैं पहले
नहीं खुलवा लेता,
तुम खाता खोल
रहे हो तो तुम
डालो न पैसे.....!!
😞बैंक मैनेजर :-
अरे भाई सरकार
खुलवा रही है.....!!
👳कस्टमर :-
तो ये सरकारी
बैंक नहीं है ?
😉बैंक मैनेजर :-
अरे भाई सरकार
तुम्हारा बीमा फ्री
में कर रही है ,
पुरे एक लाख का ,
👳कस्टमर : -
(खुश होते हुए)
अच्छा तो ये
एक लाख मुझे
कब मिलेंगे?
😜बैंक मैनेजर :-
(गुस्से में)
जब तुम मर
जाओगे तब
तुम्हारी बीबी
को मिलेंगे.....!!
👳कस्टमर :-
(अचम्भे से)
तो तुम लोग मुझे
मारना चाहते हो?
और मेरी बीबी से
तुम्हारा क्या मतलब है?
😣बैंक मैनेजर :-
अरे भाई ये हम
नहीं सरकार चाहती है...!!
👳कस्टमर :-
(बीच में बात काटते हुए) तुम्हारा मतलब
सरकार मुझे
मारना चाहती है?
😖बैंक मैनेजर :-
अरे यार मुझे नहीं पता, तुमको खाता खुलवाना है
या नहीं?
👳कस्टमर : -
नहीं पता का
क्या मतलब?
मुझे पूरी बात बताओ ,
😩बैंक मैनेजर : -
अरे अभी तो
मुझे भी पूरी
बात नहीं पता,
मोदी ने कहा कि
खाता खोलो तो
हम खोल रहे हैं.....!!
👳कस्टमर :'
अरे नहीं पता तो
यहां क्यों बैठे हो,
(जन धन के पोस्टर
को देखते हुए)
अच्छा ये 5000 का ओवरड्राफ्ट क्या है?
😠बैंक मैनेजर : -
मतलब तुम अपने
खाता से 5000
निकाल सकते हो ,
👳कस्टमर : -
(बीच में बात काटते हुए)
ये हुई ना बात,
ये लो आधार कार्ड,
2 फोटो और
निकालो 5000......!!
😲बैंक मैनेजर :-
अरे यार ये तो 6
महीने बाद मिलेंगे.......!!
👳कस्टमर :-
मतलब मेरे 5000
का इस्तेमाल 6
महीने तक तुम
लोग करोगे......!!
😫बैंक मैनेजर : -
भैया ये रुपये ही
6 महीने बाद आएंगे......!!
👳कस्टमर : -
झूठ मत बोलो,
पहले बोला कि
कुछ नहीं मिलेगा,
फिर कहा एटीएम मिलेगा,
फिर बोला बीमा मिलेगा,
फिर बोलते हो 5000 रुपये मिलेंगे,
फिर कहते हो
कि नहीं मिलेंगे,
तुम्हे कुछ पता भी है?
😤बैंक मैनेजर बेचारा :-
अरे मेरे बाप कानून की कसम,
भारत माँ की कसम,
मैं सच कह रहा हूँ,
मोदी जी ने अभी कुछ नहीं बताया है,....
तुम चले जाओ,......
खुदा की कसम, ...
तुम जाओ,....
मेरी सैलरी इतनी नहीं है
कि .......
एक साथ
ब्रेन हैमरेज और हार्ट
अटैक दोनो का
ईलाज
करवा सकु.......!!
😀😀😀😀😀😀😀😀
👉 इसे भेजो
जितना भेजना Qki
ये तो अभी लॉन्च हुआ
hai
अभी तो
market में भी
new
आया hai.....!!
😛😀😝😄🙉😼😂👌
#3216 ADMIN
05:30:00 AM 01 Jan, 1970
एक लेख छपा था मेरा भी, अखबारों में कुछ दिन पहले।
जिसमें मैंने हिन्द लिखा था, और लिखा था शहरों को,
जिसमे मैंने रात लिखी था, और लिखा दोपहरों को।
लेख में मैंने लिखा था उस पर, लिखा था मैंने चरखा भी,
गांधी, नेहरु, आज़ादी भी, और लगाया तड़का भी।
कुछ कटाक्ष थे, कुछ बातें थी, लिखी लेख में दो ढाई,
पर शायद मैं भूल गया था, लिखना उसमे सच्चाई।
झूठ लिखा था, बिका बहुत, पसंद सभी को आया भी,
झूठ जो था, तो आना ही था, सत्य नहीं, छप पाया था।
लेख स्वयं में उलझा उलझा, पहुँचा फिर दीवारों तक,
चिपका कुछ बाजारों में वो, चला वो ठेकेदारों तक।
कुछ दिन तक तो दिखा मुझे, पर फिर गायब हुआ कहाँ,
लेख ने मेरे आग लगायी, अब तक है कुछ धुंआ यहाँ।
चंद दिनों से दिखा नहीं है, मुझको वो बाज़ारों में,
लेख मेरा सबने पढ़ डाला, और खरीदा सारों ने।
झूठ था तो चल गया, सच होता तो सुनता कौन,
सच लिख देता, गर भारत का, उसको पढना चुनता कौन।
सच कहने में डरने वाले, सच पढने से डरते हैं,
अपना क्या है, लिख देते हैं, और झूठ पढ़ लेते हैं।
बेच रहा है मीडिया, झूठ को आवाम में,
देख रहा है इंडिया, झूठ को आराम से।
और बैठा कुर्सी पर है, चरखा चालने वाला,
घुमा रहा है, घूम रहा है, चाय उबालने वाला।
#10918 Aman
12:00:00 AM 17 Feb, 2017
कभी कभी है लगता मुझे , तुम मेरे होके भी मेरे नही...
देखे थे जो मैनै ख्वाब तेरे, कहीं वो सारे झूठे तो नही..
मै rota हूं रात भर , क्या तुम कभी रोये नही..
तेरे ईंतजार में सारी जिंदगी गुजर गई मेरी,
क्या वो मुलाकातो के हसीन पल घोखे तो नही...
यादें तुम्हारी मुझको कभी एक पल भी सोने देती नही...
कैसे होगा भरोसा तुम्हे ईस बात पर भला,
तुमने कभी प्यार मुझसे सच्चा किया ही नही..
#12873 Kishan Exp
12:00:00 AM 20 Feb, 2017
एक झूठ जो हर आदमी अक्सर बोलता है... .
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बात पैसे की नहीं है यार!!
#16427 harman
12:00:00 AM 19 Mar, 2017
घोंचू ने अपने दोस्त पोंचू से कहा- मैं अपनी बीवी की वजह से एक दिन नरक में जाऊंगा, हर दिन झूठ जो बोलना पड़ता है।
पोंचू ने हैरान होकर पूछा- ऐसा क्यों है मेरे भाई?
घोंचू- रोज सुबह-शाम सजने-संवरने के मेरी बीवी पूछती है कि मैं कैसी लग रही हूं।
…………………………………………………
बॉयफ्रेंड ने अपनी शेखी बघारते हुए गर्लफ्रेंड से कहा- मेरे पापा के सामने सब लोग कटोरा लेकर खड़े रहते हैं।
गर्लफ्रेंड ने अचंभित होकर पूछा- आखिर तुम्हारे पापा करते क्या हैं??
बॉयफ्रेंड ने धीरे से कहा- वो, गोलगप्पे बेचते है।
…………………………………………………
लड़का- मेरा दिल मोबाइल है और तुम उसकी सिम कार्ड हो।
लड़की- एक बात बताओगे?
लड़का- हां, पूछो?
लड़की- तुम्हारा मोबाइल दो सिम कार्ड वाला तो नहीं है ना?
…………………………………………………
प्रेमिका (प्रेमी से)- अरे बाबा, जल्दी खिड़की से कूदो पापा आ रहे हैं।
प्रेमी- लेकिन यह तो 13वीं मंजिल है....!
प्रेमिका- अरे, यह शगुन-अपशगुन सोचने का वक्त नहीं है...!
…………………………………………………
लड़का- आय लव यू...! ....
......
लड़की- तुम पागल हो क्या...? मैं शादीशुदा हूं...।
....मेरा पति है और एक बॉयफ्रेंड भी है ऑफिस में।
....और मेरा एक्स-बॉयफ्रेंड मेरे पड़ोस में ही रहता है।
...और कल ही मेरे बॉस ने प्रपोज किया है और मैं उन्हें मना नहीं कर सकती...।
....
....
...और वैसे भी मेरा एक के साथ सीरियस मैटर है.....।
....
...
लड़का- (काफी देर देखने के बाद)...
.....
.....
.....
यार, देख ले कहीं एडजस्ट होता हो तो....।
#21935 Afsar
12:00:00 AM 13 May, 2017
कहा था किसी ने मुझे
कि आग और पानी का कभी मेल नहीं होता
सुनो मैंने इसे झूठ कर दिखाया है,
तुम्हारे साथ रहने की ये प्रबल उत्कंठा,
परे है सब समीकरणों से,
और अनभिज्ञ है, किसी भी रासायनिक या भौतिक
प्रक्रिया से,
हर बार तुम्हारे मिथ्या दंभ की आग में
बर्फ सी जली हूँ मैं
हर बार मेरी शीतलता ने
छूआ है तुम्हारे अहम् के
तपते अंगारों को
और देखो
भाप बनकर उडी नहीं मैं,
बहे जा रही हूँ युगों से नदी बनकर
और जब सुलग उठती हूँ
तुम्हारे क्रोध के दानावल से,
तो अक्सर फूट पड़ता है कोई
गर्म जल का सोता
हमारी भावनाओं के टकराव के
उद्गम से,
खोती हूँ खुद के कुछ कतरे,
देती हूँ आहुति में
थोडा सा स्वाभिमान,
थोड़ी सी सहनशीलता
बदलती हूँ अपनी सतह के कुछ अंश गर्म छींटों में,
पर मेरे अंतस में सदा बहती है
उल्लास की एक नदी,
जो मनाती है उत्सव हर मिलन का,
नाचती है छन्न छन्न की स्वर लहरी पर,
कभी सुलग उठते हो
अपने पौरुष के अभिमान में
ज्वालामुखी से तुम
तो बदल देती हूँ लावे में अपना अस्तित्व
क्योंकि मेरा बदलाव ही शर्त है
हमारे सम्बन्ध की,
पर फिर से बहती हूँ दुगने वेग से,
भूलकर हर तपन,
मेरा अनुभव है
आग और पानी का मिलन
इतना भी दुष्कर नहीं होता.....
#40310 Afsar
12:00:00 AM 28 Jul, 2017
दीवाना उस ने कर दिया एक बार देख कर,
हम कर सके न कुछ भी लगातार देख कर।
वो जिसकी याद मे हमने खर्च दी जिन्दगी अपनी,
वो शख्श आज मुझको गैर कह के चला गया।
जो उनकी आँखों से बयां होते हैं,
वो लफ्ज़ शायरी में कहाँ होते हैं।
खुशनसीब कुछ ऐसे हो जाये,
तुम हो हम हो और इश्क हो जाये।
उदासियों की वजह तो बहुत है ज़िन्दगी में,
पर खुश रहने का मज़ा आपके ही साथ है।
ए मेरी कलम इतना सा अहसान कर दे
कह ना पाई जो जुबान वो बयान कर दे।
अब मौत से कहो की हमसे नाराज़गी ख़त्म कर ले,
वो बहुत बदल गए है,
जिसके लिए हम जिया करते थे ।
जब लगा था खँजर तो इतना दर्द ना हुआ,
जख्म का एहसास तो तब हुआ
जब चलाने वाले पे नजर पड़ी।
परवाह नहीं अगर ये जमाना खफा रहे..
बस इतनी सी दुआ है, दोस्त मेहरबां रहे।
गिरते हुए आँसुओं को कौन देखता है
झूठी मुस्कान के दीवाने हैं सब यहाँ।
#40331 arman
12:00:00 AM 28 Jul, 2017
कौन कहता है कि हम झूठ नही बोलते,
एक बार खैरियत तो पूछ के देखिये।
महफील भले ही प्यार करने वालो की हो,
उसमे रौनक तो दिल टुटा हुआ शायर ही लाता है।
सात संदूक़ों में भर कर दफ़्न कर दो नफ़रतें,
आज इंसाँ को मोहब्बत की ज़रूरत है बहुत।
कहो तो फ़लक़ से तुम्हारे लिए चाँद तारे तोड़ लाऊँ,
इतना काफी हैं, यारा कि कुछ और झुठ बोल जाऊँ।
यारो कुछ तो जिक्र करो, उनकी क़यामत बाहो का,
वो जो सिमटते होंगे उनमे, वो तो मर जाते होंगे।
मेरी ज़िन्दगी में तुम्हारी दखलंदाजी की आदत गई नहीं,
साँसों में भी रुकावट डालते हो हिचकियाँ बनकर।
खुदा ही जाने क्यूँ हाथो पे तुम मेहँदी लगाती हो,
बड़ी ही नासमझ हो, फूलों पर पत्तों के रंग चढ़ाती हो।
एहसान किसी का वो रखते नहीं मेरा भी चुका दिया,
जितना खाया था नमक मेरा, मेरे जख्मों पर लगा दिया।
फासला रख के क्या हासिल कर लिया तुमने,
रहते तो आज भी हो तुम मेरे दिल में ही।
मुझे लिख कर कही महफूज़ कर लो दोस्तो,
आपकी यादाश्त से निकलता जा रहा हूँ में।