arman 12:00:00 AM 12 Jun, 2017

वो सज़दा ही क्या,
जिसमे सर उठाने का होश रहे;

इज़हार-ए-इश्क़ का मजा तब,
जब मैं बेचैन रहूँ और वो ख़ामोश रहे!

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