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Afsar
12:00:00 AM 18 Jun, 2017
रोज़ रोज़ गिर कर मुकम्मल खड़ा हूँ,
ज़िन्दगी देख में तुझसे कितना बड़ा हूँ..
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#1445 ADMIN
05:30:00 AM 01 Jan, 1970
गुड़गाँव में एक परिवार के स्कूल जाने वाले
दो मासूम बच्चे सुबह अपने बिस्तर पर मृत पाये गये।
उनकी मृत्यु के संभव कारणों की जाँच-पड़ताल करते हुए उनके खाने-पीने की पूछताछ की गयी , तो ,
बच्चों की माँ ने बताया कि बच्चों ने बाहर की कोई चीज़ नहीं खायी थी ,
लेकिन रात को सोते समय रोज़ाना की तरह उनको एक गिलास दूध जरूर पिलाया गया था।
जब फ्रिज में रखे हुए दूध के भगौने की जाँच की गयी ,
तो उसके तले में ३-४ इंच का एक साँप का बच्चा मरा हुआ पड़ा मिला।
वह फ्रिज में कैसे पहुँचा ......... और दूध के कटोरे में कैसे गिर गया ........???
परिवार ने याद करके बताया कि वे सब्जी मंडी से पालक लाये थे और उस गड्डी को बगैर खोले , बगैर देखे फ्रिज में रखा था ।
हो सकता है , उसी पालक की गड्डी में से निकलकर वह साँप का छोटा सा बच्चा दूध के भगौने में गिर गया होगा।
बेशक , बच्चों की मौत का कारण तो स्पष्ट हो गया , लेकिन ......
परिवार ने अपने दो नौनिहाल बच्चे खो दिये।
इसलिए फ्रिज में कोई वस्तु , विशेष रूप से पत्तेदार भाजी रखने पर हमें बहुत सावधान रहना चाहिए तथा वस्तुओं को ढक कर ही फ्रिज में रखना चाहिए।
समय समय पर अपने फ्रीज की साफ़ सफाई भी करते रहे , घर में किचनमे कोई भी खाने की वस्तु बिना ढकी ना रखे ।
इस हादसे से सबक लेवें ,
इसे पढ़ कर सिर्फ अपने पास तक सीमित मत रखिए बल्कि इसे आगे बढ़ाइए और मानवता की सेवा में थोड़ा योगदान दीजिऐ ।
धन्यवाद ।
#1600 ADMIN
12:16:17 PM 12 Jan, 2016
*वक्त मिले तो पढ लेना... आखिर आप भी किसी नेता से ज्यादा देश से प्यार करते हैं !!*
💥 सिर्फ़ एक ग़ाज़ीयाबाद जि़ले में मिडीयम और स्माल इंडस्ट्रीको 15 दिन मे *700 करोड़ का* नुकसान !!
💥 मुंबई को हो रहा रोज़ *325 करोड का* नुकसान !!
💥 ऐसोचेम की रीपोर्ट के हिसाब से पहेले 4 दिन में जो ह्यूमन रिसोर्स लाइनमें बर्बाद हुआ उसकी क़ीमत है *1 लाख 16 हज़ार करोड !!*
💥 *80% भारत 15 दिन से ठप्प !!* इसके नुकसान का आंकलन करना मेरे बसकी बात नहीं !!
💥 L & T ने *14,000 को नॊकरी से निकाला !* कुल वर्क फोर्सका 11% !!
💥 CMIE की रिपोर्टके हिसाबसे नोटबंदी की कीमत *1 लाख 25 हजा़र करोड !!*
💥 राजस्थान इंडस्ट्री को *1 लाख करोड का* नुकसान !!
💥 शेयर मार्केट रोज़ नीचे की ओर जा रहा है !!
💥 ₹ डालर($ )के सामने रिकार्ड नीचे (68.40)पर आ चुका है !! और *$ 75* तक जानेकी संभावना है !!
💥 विदेशी निवेशक पैसे निकाल कर भाग रहे है !!
💥 मिल मालिको ने मज़दूरों को छुट्टी दे दी है !! चिंता यह हॆ, कि वापास वह अनुभवी लेबर न मिल पायेगी शायद !! *मजदूर बने बेरोज़गार !!*
💥 GDP को लेकर सभी संस्थाने अपना आंकलन भारत के लिए कम किया !! डा० मनमोहन सिंह ने कहा *GDP 2% तक गिर सकती है !!*
💥 नोटबंदी छीन रही है *4 लाख नौकरीयां !*
💥 *80 जीवन* अब तक छीन चुका है नोटबंदी !
💥 किसान का रवि फ़सल चौपट करेगा नोटबंदी का फ़ॆसला !!
ये तो सिर्फ चंद आंकडे और आंकलन सपाटी पर आ पाये है !! वक्त के साथ बहुत कुछ सामने आयेगा !!
*अब नोटबंदी के समर्थक बताये की इससे देश में 50 दिन के बाद कितना कालाधन सिस्टम में आयेगा ? और देशकी आम जनता को इससे क्या क्या फायदा होगा ???*
*फर्जी आंकडे या जुमले ही सुना दो !!*
लेकीन याद रहे भारत में *नकदी में कालाधन सिर्फ 6% ही था !!* बाकी विदेश में, प्रोपर्टी में, सोने इत्यादि में निवेशित है !! वो 6% मे से कितना सेटींग से सफेद करवा दीया गया नोटबंदी से !!
*भारत का नया अर्थशास्त्र* - 4 लाख करोड़ पकड़ने के लिए 40 लाख करोड़ का नुकसान !!
पहेनाये गये *फर्जी राष्ट्रवाद* के चश्मे को उतार कर सोचिएगा ज़रूर...
सरकार ने 500 और 1000 के नोट बदलने की बात रखी थी लेकिन तत्कालीन RBI गवर्नर *रघुराम राजन* ने कहा की इससे फायदा कम और नुकसान बहुत ज्यादा है !! इसके बाद ये काम नहीं किया !!
किसी ने ख़ूब कहा है -
*नीम हकीम, ख़तरा- ए- जान !!*
#17213 harman
12:00:00 AM 21 Mar, 2017
"बुझी नज़र तो करिश्मे भी रोज़ो शब के गये;
कि अब तलक नही पलटे हैं लोग कब के गये;
करेगा कौन तेरी बेवफ़ाइयों का गिला;
यही है रस्मे ज़माना तो हम भी अब के गये;
मगर किसी ने हमें हमसफ़र नही जाना;
ये और बात कि हम साथ साथ सब के गये;
अब आये हो तो यहाँ क्या है देखने के लिए;
ये शहर कब से है वीरां वो लोग कब के गये;
गिरफ़्ता दिल थे मगर हौसला नहीं हारा;
गिरफ़्ता दिल है मगर हौंसले भी अब के गये;
तुम अपनी शम्ऐ-तमन्ना को रो रहे हो 'फ़राज़';
इन आँधियों में तो प्यारे चिराग सब के गये।
~ Ahmad Faraz
#20062 Afsar
12:00:00 AM 02 May, 2017
मैं पेड़ हूं हर रोज़ गिरते हैं पत्ते मेरे ,
फिर भी हवाओं से,,
बदलते नहीं रिश्ते मेरे…
#27981 Afsar
12:00:00 AM 13 Jun, 2017
हवा में फिरते हो क्या हिर्स और हवा के लिए;
ग़ुरूर छोड़ दो ऐ ग़ाफ़िलो ख़ुदा के लिए;
गिरा दिया है हमें किस ने चाह-ए-उल्फ़त में;
हम आप डूबे किसी अपने आशना के लिए;
जहाँ में चाहिए ऐवान ओ क़स्र शाहों को;
ये एक गुम्बद-ए-गर्दूं है बस गदा के लिए;
वो आईना है के जिस को है हाजत-ए-सीमाब;
इक इज़्तिराब है काफ़ी दिल-ए-सफ़ा के लिए;
तपिश से दिल का हो क्या जाने सीने में क्या हाल;
जो तेरे तीर का रोज़न न हो हवा के लिए;
जो हाथ आए 'ज़फ़र' ख़ाक-पा-ए-फ़ख़रूद्दीन;
तो मैं रखूँ उसे आँखों के तूतया के लिए।
#28271 Afsar
12:00:00 AM 13 Jun, 2017
बुझी नज़र तो करिश्मे भी रोज़ो शब के गये;
कि अब तलक नही पलटे हैं लोग कब के गये;
करेगा कौन तेरी बेवफ़ाइयों का गिला;
यही है रस्मे ज़माना तो हम भी अब के गये;
मगर किसी ने हमें हमसफ़र नही जाना;
ये और बात कि हम साथ साथ सब के गये;
अब आये हो तो यहाँ क्या है देखने के लिए;
ये शहर कब से है वीरां वो लोग कब के गये;
गिरफ़्ता दिल थे मगर हौसला नहीं हारा;
गिरफ़्ता दिल है मगर हौंसले भी अब के गये;
तुम अपनी शम्ऐ-तमन्ना को रो रहे हो 'फ़राज़';
इन आँधियों में तो प्यारे चिराग सब के गये।
#28589 Rakesh
12:00:00 AM 14 Jun, 2017
बुझी नज़र तो करिश्मे भी रोज़ो शब के गये;
कि अब तलक नही पलटे हैं लोग कब के गये;
करेगा कौन तेरी बेवफ़ाइयों का गिला;
यही है रस्मे ज़माना तो हम भी अब के गये;
मगर किसी ने हमें हमसफ़र नही जाना;
ये और बात कि हम साथ साथ सब के गये;
अब आये हो तो यहाँ क्या है देखने के लिए;
ये शहर कब से है वीरां वो लोग कब के गये;
गिरफ़्ता दिल थे मगर हौसला नहीं हारा;
गिरफ़्ता दिल है मगर हौंसले भी अब के गये;
तुम अपनी शम्ऐ-तमन्ना को रो रहे हो 'फ़राज़';
इन आँधियों में तो प्यारे चिराग सब के गये।
#28848 arman
12:00:00 AM 15 Jun, 2017
मैंने कब चाहा कि मैं उस की तमन्ना हो जाऊँ;
ये भी क्या कम है अगर उस को गवारा हो जाऊँ;
मुझ को ऊँचाई से गिरना भी है मंज़ूर, अगर;
उस की पलकों से जो टूटे, वो सितारा हो जाऊँ;
लेकर इक अज़्म उठूँ रोज़ नई भीड़ के साथ;
फिर वही भीड़ छटे और मैं तनहा हो जाऊँ;
जब तलक महवे-नज़र हूँ, मैं तमाशाई हूँ;
टुक निगाहें जो हटा लूं तो तमाशा हो जाऊँ;
मैं वो बेकार सा पल हूँ, न कोइ शब्द, न सुर;
वह अगर मुझ को रचाले तो हमेशा हो जाऊँ;
आगही मेरा मरज़ भी है, मुदावा भी है 'साज़';
जिस से मरता हूँ, उसी ज़हर से अच्छा हो जाऊँ।
#29246 Afsar
12:00:00 AM 15 Jun, 2017
बुझी नज़र तो करिश्मे भी
रोज़-ओ-शब के गये;
कि अब तलक नही पलटे हैं
लोग कब के गये;
करेगा कौन तेरी
बेवफ़ाइयों का गिला;
यही है रस्म-ए-ज़माना
तो हम भी अब के गये;
मगर किसी ने हमे
हमसफ़र नही जाना;
ये और बात कि हम
साथ साथ सब के गये;
अब आये हो तो यहाँ क्या है
देखने के लिये;
ये शहर कब से है
वीरां वो लोग कब के गये;
गिरफ़्ता दिल थे मगर
हौसला नही हारा;
गिरफ़्ता दिल हैं मगर
हौसले भी अब के गये;
तुम अपनी शम-ए-तमन्ना को
रो रहे हो 'फ़राज़';
इन आँधियों मे तो प्यार-
ए-चिराग सब के गये।